Case #28 - 28 बोलने वाली पैंट


नैन्सी ने बहुत सारे मुद्दे बताये । उसे लगता था कि विश्वसनीयता और उसके व्यवहार में एक अंतर था। पहली शादी से उसके एक बच्चा था; उस संबंध में बहुत ही कम वास्तविकता थी, क्योंकि वह कभी-कभी ही साथ रहते थे । उसने अपनी दूसरी शादी के बारे में बात की, बहुत से गर्भपात करवाये, तब उसका पति दूसरा बच्चा चाहता था लेकिन वास्तव में वो नहीं चाहती थी । उसने बताया कि वह अपने दूसरे पति के साथ बहुत खुश थी, लेकिन कभी-कभी कार्यशालाओं में अपनी हाजिरी उससे छुपाती थी । उसने बताया कि वह शारीरिक रूप से मजबूत नहीं थी और उस अवस्था को बदलना चाहती थी ।

मैंने बताया कि एक मुद्दा दूसरे मुद्दे की तरफ ले जाता है, और इसलिये किसी भी मुद्दे पर गहराई से केन्द्रित होने में मुश्किल होती है । दर-असल, उसने कहा कि अन्य चिकित्सकों को उस पर भरोसा करने में मुश्किल हुई थी । मैंने उससे पूछा कि वो मुझसे क्या चाहती थी । उंसने उत्तर दिया कि वो बचना चाहती थी । मैंने उसे बताया कि मुझमें कुछ ऐसा है जिससे उसे बचा कर मुझे खुशी होगी, लेकिन मैं अभी तक ठीक से कर नहीं पा रहा था; तथा दूसरी तरफ मुझमे कुछ ऐसा भी था जो उसे सशक्त बनाना चाहता था, लेकिन वह भी ठीक तरह से नहीं हो पा रहा था ।

सत्र की शुरूआत में मैंने उसकी पैंट देखी – एक रंगबिरंगी और जटिल नमूने की । मैंने उसे कई बार देखा । मैंने उसका मुँह भी देखा । उस पर बहुत तरह के भाव थे, और वो कभी-कभी अपने होंठ भी चबाती थी, या फिर अपने दाँत एक खास तरीके से दिखाती थी । मैंने उन दोनों चीजों पर टिप्पणी की । उसे अपने मुँह के बारे में कुछ पता नहीं था, और अपनी पैंट में उसे कोई रुचि नहीँ थी । कुछ और बातचीत के बाद, मैं दोबारा उसकी पैंट पर गया, और सुझाव दिया कि शायद पैंट हमारी सहायता करे कि हमें किन मुद्दों पर काम करना था ।

मैंने उससे पूछा कि इन चीजों का कौन सा पहलू वो वास्तव में पसन्द करती थी । उसने अपने टखने के आसपास एक छोटा सा हिस्सा दिखाया और तीन रंगों की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वह गर्म और ठंडे भाव के थे । इसलिये, मैंने उससे कहा कि वह हरेक रंग बन कर अपने बारे में बताये । उसने अपने आप को एक गर्म, हंसमुख, उत्साही और चमकीला व्यक्ति बताया । फिर स्वयं को एक शांत, विचारशील व्यक्ति बताया जो अकेला रहना पसन्द करता था । फिर उसने स्वयँ को एक भावहीन, स्वार्थी, विवेकशील व्यक्ति बताया ।

मैंने सबके बारे में एक-एक करके अपनी प्रतिक्रिया बताई । जब मैं आखिरी वाले भाग पर पहुँचा, तो वो एकदम से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पहले ही बोली कि यह वाला भाग ठीक नहीं था, और इसके लिये उसने अपने-आप को ही दोषी ठहराया । इससे यह पता चला कि बहुत कुछ चाहती थी जिससे कि वो वाला भाग गल्त हो गया था । मैंने उससे पूछा कि वो कहाँ से आये थे – उसकी माँ से । इसलिये, हमने उसकी माँ के लिये एक तकिया लगाया, और उसने अपनी माँ से बात की, अपना संबंध बताया, लेकिन अपनी चाहने वाली सूची की सीमाएँ भी बताईँ ।

फिर उसकी पहले वाली सास थी, जो कुछ मायनों में 'आदर्श' थी, लेकिन वह उससे बहुत कुछ चाहती थी । मैंने उसको कहा कि वो अपनी सास को तकिये के ऊपर रखे, और फिर दोबारा उसने अपना संबंध बताया, लेकिन अपनी सीमाएँ भी । मैं हर बार उसके भावहीन/स्वार्थी भाग की तरफ आता था, उसे प्रमाणित करने की कोशिश में । हर बार वह उसे त्यागना शुरू कर देती थी । मैं उससे पूछता था कि क्या वह अपनी चाहना को स्वयं पर काबू करने देना चाहती थी, और वह उत्तर देती थी 'नहीं' ।

अंत में, जब मैंने उसे अपनी स्वार्थपरता के बारे में बताया, तो उसने मुझे सुनना शुरू कर दिया । मैंने उससे कहा कि अगर मैं अपने काम वाले/व्यापारिक रूप में था, या मैं बहुत ही स्थिर महसूस कर रहा था, तो मैं सहज रूप से उसके इस भाग के साथ हो सकता था । या, फिर मैं भी अपने भावहीन/स्वार्थी रुप में था तो मैं भी इसके साथ ठीक ही रहूँगा । लेकिन अगर मैं खुद को कमजोर या जरूरतमंद महसूस कर रहा था, तो मुझे इससे चोट पहुँच सकती थी । वो मुझे बिना किसी सहमति के सुन पा रही थी, और मेरी जानकारी में उसे जज्ब कर रही थी ।

उसने कहा 'लेकिन यह वह हिस्सा है जिसे मैं बदलना चाहती हूँ, क्योंकि मैं लोगों को चोट पहुँचा सकती हूँ' । मैंने उत्तर दिया 'मुझे इसमें ज्यादा रुचि है कि तुम ये मान लो कि वास्तव में यह तुम्हारा ही एक हिस्सा है, जब तुम उस स्थान पर होती हो – और यह मुझे तुम्हारे बारे में सुरक्षा की भावना देता है' । वो समझ गई थी कि इस भाग से छुटकारा पाना, या इसमें सुधार लाना, संभव नहीं था, बस उसके अस्तित्व को केवल मानना था ।

इस सत्र को शुरू करने में बहुत मुश्किल हुई थी । हर बार जब वो स्पष्ट रुप से शुरुआत करती थी, तो उसका ध्यान बदल जाता था । यह अपने-आप में ही धयान देने योग्य था – उसका ध्यान बदलना । मैंने उस पर धयान नहीं दिया, क्योंकि हमारे बीच समुचित संबंध नहीं था । मैंने थोड़ा बचाने की संभावना वाला किरदार निभाया, लेकिन उस रास्ते पर आगे न बढ़ने का निर्णय लिया, क्योंकि उस पर पकड़ नहीं बन पा रही थी । इसलिये, स्पष्ट विषय-वस्तु ढूँढने के लिये चूहा और बिल्ली का खेल खेलने के बजाय मैं उस वस्तु पर लौट आया जो मेरे लिये दृष्टा थी – पैंट । ये तथ्य कि उसके लिये वह कोई महत्व नहीं रखता था,हम उसमें से कुछ ऐसा ढूँढ सकते थे जो उजागर हो, उसके किसी भी आकृति के बारे में बताने के विरोध के बावजूद । सीधे-सीधे उसने अपने तीन महत्वपूर्ण हिस्सों का नाम लिया ।

फिर मैंने उनकी संबंधों के परिप्रेक्ष्य में जाँच की – हरेक के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की । उसका विरोध तीसरे भाग के बारे में उभर कर आया और उसने स्पष्टत: उस काम की ओर इशारा किया जो करना था : उसकी चाहनाओं और उनके कारणों से निपटना । ये करने के बाद, वो अपने उस भाग को मेरे साथ अपने संबंध में और अपने साथ स्वयँ के संबंध में ला सकी । इसका नतीजा वही था जिसके पीछे हम गेस्टाल्ट प्रक्रिया में है : एकीकरण



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther