Case #10 - 10. डर, आक्रमण और मजा


बिजेट एक बहुत ही भावुक इन्सान थी । उसे पहले बहुत बुरी एलर्जी हो चुकी थी तथा उसका शरीर वातावरण से प्रभावित होता था और वह डर भी जाती थी । उसने बताया कि अगर कोई उस पर गुस्सा करता था तो उसके लिये झेलना कितना मुश्किल था । जब भी अपने साथी से उसकी कोई असहमति होती थी तो वह अपने-आप को बहुत कमजोर महसूस करती थी । उसने कहा कि 'मेरा शरीर मेरा नहीं है, मैं सुन्न हूँ, मुझे सीमा का कोई ज्ञान नहीं है' ।

इसलिये, उसे अपने शरीर में रहना मुश्किल था और विशेषतया तब जब उसके आसपास कोई अप्रसन्न हो । मैंने उससे उसकी कमियों के बारे में पूछा । उसने बताया कि किस-किस समय वह जिद्दी और दूसरों के प्रति असंवेदनशील हो जाती है । मैंने उसे अपनी जिद और असंवेदनशीलता के बारे में बताया । उसने बताया कि वह अपनी आँखें इतनी तीखी कर सकती है जिससे कोई चुपचाप दूर हो जाये ।

मैंने उसे अपनी आँखों के बारे में कल्पना करने के लिये कहा, उसी तरह कि जिनसे लोग दूर हो जायें । उसने बताया कि उसकी आँखें गर्मा-गर्म हैं जिससे वह किसी को भी मार सकती है । मैंने उसे उन्ही गर्मा-गर्म आँखों से लोगों को जलाने के लिये कहा । उसने एक छवि के बारे में बताया जिसमें उसने किसी के चेहरे पर जोर से तमाचा मारा । जब वह एक जवान औरत थी तो उसका यौन-शोषण किया गया था जिससे उसको पुरूषों के प्रति बहुत गुस्सा था । इसलिये मैंने उसे उसी व्यक्ति को कल्पना में तमाचा मारने के लिये कहा जिसने उसके साथ ऐसा किया था । उसे अपनी शक्ति पता चली, और मैंने उसे अपने बाकी के शरीर को देखने के लिये कहा । उसने अपने माँस, त्वचा तथा टाँगों में शक्ति महसूस की । पहले जब वो अपने शरीर में होती थी तो स्वयँ को प्रताड़ित महसूस करती थी । लेकिन अब उसे अच्छा लगने लगा ।

हमने उसकी काम-वासना के बारे में बात की । बहुत वर्षों तक काम-वासना के लिये वह दब्बू, डरी हुई रही थी तथा वह अपने साथी के साथ ठंडी हो जाती थी । मैंने उसे कल्पना में अपने साथी के साथ यौन-संबंध के दौरान आक्रामक होने के लिये कहा । यह कल्पना उसे बहुत हद तक भा गई । हमने उसके जीवन के और क्षेत्रों के बारे में खोज की जिसमें वह आक्रामक हो सकती थी – अपने बेटे के साथ बेसबाल फेंकने में । यह उसे बहुत अच्छा लगा ।

इस सत्र को हमने उसकी असुरक्षा और अपने शरीर से बाहर होने के डर के साथ शुरू किया । वह अपनी इस शक्तिहीन स्थिति के बारे में जानती थी जो उसके युवा जीवन के अनुभव की विशेषता रही थी । वो अपनी इस शक्तिहीन स्थिति से परिचित थी जो उसके युवा जीवन के अनुभव की एक विशेषता रही थी । यह उसकी अपने पति के साथ अंतरंगता और एक स्वस्थ संपर्क की क्षमता में बाधा पहुँचाती थी । बड़ी मुश्किल से करने की स्थिति उसके विरुद्ध जाती थी जो दूसरों पर भी असर करती थी । यद्यपि वह मौन थी, फिर भी, उसके दूर भगाने वाले अनुभव को पहचान कर, हम उसके क्रोध पर काबू कर सकते थे । उसके शरीर की यह पहचान – उसकी आँखें – ही उसके गुस्से के अनुभव को बढ़ाने के लिये मुख्य उपाय थीं । उसकी आक्रामकता को देख पाने से यह हो सका ।

यह किसी भी तरीके से दूसरों के प्रति आक्रामक होने को प्रोत्साहन देना है । बल्कि यह एक विपरीत दिशा में कदम रखने जैसा है जिसे किसी के व्यक्तित्व में समाहित किया जा सके । यह बदलाव नाटकीय था । अब वो स्वयँ को संवेदनशील, शक्तिहीन, डरी हुई या अलग-थलग महसूस नहीं कर रही थी । उसने न केवल अपने पर आक्रमण करने वालों पर काबू किया बल्कि उसने स्वयँ को अपने साथी के साथ यौन-क्रिया के लिये सक्रिय पाया, जो उसके साथ लम्बे समय तक नहीं हुआ था । इस बात की खोज कि आक्रमण यौन-क्रिया में या अपने बेटे के साथ आनन्दमय भी हो सकता है उसके लिये नई थी और इसने उसे एक अलग ही दृष्टिकोण दिया ।



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther